Tuesday, April 30th, 2024

विदेश की नौकरी दिलाने व पढ़ाई कराने का दम भरने वाला बीयू स्वयं तैयार नहीं कर सकता ट्रांसक्रिप्ट

भोपाल।  

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की ट्रांसक्रिप्ट तैयार नहीं हो रही है। वे पचास रुपए देकर बीयू के बाहर फोटो कापी की दुकानों से ट्रांसक्रिप्ट बनाकर ला रहे हैं। यहां तक उन्हें लिफाफे तक देना पड़ रहा है। ये बीयू के लिए काफी शर्मनाम है कि विद्यार्थी अपनी ट्रांसक्रिप्ट के लिए फीस देने के बाद उनकी रिपोर्ट और लिफाफे बाहर से लेकर आते हैं। जबकि बीयू उनसे इसकी पूरी फीस आनलाइन जमा करा लेता है। वहीं बीयू के गोपनीय विभाग से कई विषयों के टीआर (ट्रैवलूशन रिकार्ड) गायब हो गए हैं। इससे विद्यार्थियों को काफी परेशानी होने लगी हैं। प्रकरण रजिस्ट्रार अजित श्रीवास्तव के पास पहुंच गया है। उन्होंने टीआर को खोज करने के लिए कमेटी बनाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। 

देश के बाहर रहकर नौकरी या पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को बीयू द्वारा जारी होने वाली ट्रांसक्रिप्ट रिपोर्ट की काफी जरुरत होती है। इसके अभाव में वे विदेश में हरकर आगामी पढ़ाई या नौकरी में अपनी आमद दर्ज नहीं करा सकते हैं। इसलिए विद्यार्थियों ने ट्रांसक्रिप्ट के लिए बीयू में आनलाइन आवेदन कर दिया है। जनवरी में आवेदन करने के बाद विद्यार्थियों को ट्रांसक्रिप्ट नहीं मिल सकती है। इससे उनकी आगामी पढ़ाई और नौकरी दांव पर लग गई है। ट्रांसक्रिप्ट नहीं बनने का कारण गोपनीय विभाग से विषयों के टीआर गायब होना बताया गया है। करीब एक दर्जन विद्यार्थी ट्रांसक्रिप्ट के लिए बीयू के चक्कर काट रहे हैं। जिन विद्यार्थियों के टीआर मिल चुके हैं। उन्हें अपनी ट्रांसक्रिप्ट तैयार कराने के लिए आवेदन करने के बाद बीयू के सामने सुरेंद्र पैलेस में संचालित फोटो कापी की दुकानों से पाचास रुपए देकर पूरा ट्रांसक्रिप्ट बनवाकर लाना पड़ रहा है। यहां तक उसे रखने के लिए लिफाफे तक खरीद कर बीयू में देना पड़ रहा है। जबकि ये दोनों व्यवस्थाएं बीयू को अपनी तरफ से करना चाहिए। बीयू में करीब पचास कर्मचारी टाइपिंग और कम्प्यूटर दक्ष होने के बाद विद्यार्थियों से ट्रांसक्रिप्ट बाहर से बनवा रहे हैं। जबकि से इसक टाइपिंग और कम्प्यूटर दक्षता के चलते प्रमोशन तक ले रहे हैं। गोपनीय दस्तावेज का बाहर तैयार होने का कारण कर्मचारियों पर कमीशन लेना बताया गया है। 

कमेटी खोजी टीआर 

प्रकरण लंबित होने के कारण गोपनीय विभाग ने एक मोटी फाइल तैयार कर रजिस्ट्रार श्रीवास्तव के पास भेज दी है। उन्होंने फाइल कापरीक्षण करने के बाद टीआर की तलाश करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। अब टीआर के तलाश पूरी होने के बाद विद्यार्थियों के ट्रांसक्रिप्ट तैयार की जाएगी। जबकि बीयू हमेशा दो टीआर बनवाता है। एक गोपनीय और दूसरा परीक्षा शाखा में रखा होता है। गोपनीय विभाग का टीआर गायब होने की दशा में कर्मचारी परीक्षा शाखा के टीआर से ट्रांसक्रिप्ट तैयार करने से बच रहे हैं। 

क्या होती ट्रांसक्रिप्ट

ट्रांसक्रिप्ट विद्यार्थी का विवि में अध्ययन कार्य की एक पूरी रिपोर्ट होती है। इसमें विद्यार्थी के हरेक परीक्षा के रिकार्ड की पूरी रिपोर्ट होती है,जो वर्तमान समय के मुताबिक प्रमाणित होती है। सेमेस्टर में पास होने पर प्रथम कापी 600 रुपए उसके बाद अतिरिक्त 100 रुपए प्रति कापी देना होता है। वहीं वार्षिक सिस्टम में ट्रांसक्रिप्ट को पहली कापी का 400 रुपए और अतिरिक्त 100 रुपए प्रति कापी देना होता है।  जबकि राज्य के और विवि ट्रांसक्रिप्ट की गोपनीयता को देखते हुए स्वयं ही ट्रांसक्रिप्ट तैयार करते हैं। यहां तक वे विवि के नाम से छपे लिफाफों में रखकर ट्रांसक्रिप्ट भेजते हैं। 

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